कपास से कपड़ा कैसे बनता है ?
कपास से कपड़ा कैसे बनता है ? व कपास से कौन-सा कपड़ा बनाया जा सकता है ? तथा कपड़ा कैसे तैयार किया जाता है ? और कपास से बने कपड़े की पहचान कैसे करें ?

कपास से कपड़ा कैसे बनता है ? ,कपड़ा कैसे तैयार किया जाता है ?
मनुष्य को जबस सामाजिकता का ज्ञान हुआ है, तभी से उसने अपने शरीर को ढकने के लिए कपड़े की आवश्यकता को समझा है। अपने शरीर को ढकने के लिए प्राकृतिक तंतुओं की खोजबीन की। इस खोज में मनुष्य को कपड़ा बनाने के लिए कुछ प्राकृतिक तंतु प्राप्त हुए। यह तंतु कपास के द्वारा मनुष्य को मिले।
कपास एक पौधे पर लगती है। यह पौधा 1 मीटर से लेकर लगभग सवा मीटर तक ऊंचा होता है। अमेरिका में इनका पौधा 4 व साडे 4 मीटर तक भी ऊंचा पाया जाता है। कपास की खेती के लिए अच्छी काली मिट्टी वाली जमीन की आवश्यकता होती है। उष्ण प्रदेशों में इसकी पैदावार अधिक होती है। इसकी बुवाई के पश्चात बरसात का होना आवश्यक है।
लेकिन फूल आते समय और फल पकते समय कड़ी धूप का होना और रात्रि में ठंड का होना भी आवश्यक है। क्षारयुक्त जमीन से लंबे रेशे वाली उत्तम कपास उत्पन्न होती है। कपास के पौधे में पहले फूल निकलते हैं। जब फूल झड़ जाते हैं तब इसमें कपास के कोये बढ़ना प्रारंभ होते हैं। कपास पौधे के बीज के चारों ओर ऋषि के रूप में लिपटी रहती है। अतः इसे बीज का बाल भी कहते हैं इस बीज को बिनौला कहते हैं।
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निम्नलिखित प्रक्रियाओं के होने के पश्चात ही कपास का रूप धारण करती है जिससे कि कपड़ा बुना जाता है:
1. कपास के कोयों को एकत्र करना: कपास के पौधे में जब कपास के कोये पक जाते हैं और फटने लगते हैं तो उनको हाथ से या किसी यंत्र की सहायता से तोड़कर एकत्र कर लिया जाता है। अगर इस प्रकार से इकट्ठा नहीं करेंगे तो रुई इधर-उधर उड़कर मिट्टी आदि में गिर कर खराब होने की संभावना रहती है।
2. कपास से बिनौला निकालना: कपास के पौधे में कोयों कुछ सुनने के बाद हाथों से या यंत्रों की सहायता से कपास के बिनौले अलग कर लिए जाते हैं। इस प्रकार से अलग किए हुए तंतुओं को रुई कहते हैं। भारत में यह कार्य चरखी या अटेरन द्वारा किया जाता है। इस क्रिया को ओटना कहा जाता है।
3. रुई की गांठ बांधना: चरखी द्वारा कपास से बिनौला अलग करने के बाद रुई को एकत्र करके टांट आदि में बांधकर रख दिया जाता है। यह काम भी हाथों या यंत्रों की सहायता से ही किया जाता है। जिससे रुई इधर उधर ना हो।
4. रुई की गंदगी दूर करना: रुई की धुनाई करने से पहले रुई की गंदगी दूर करना अत्यंत आवश्यक होता है। रुई की गंदगी व धूल हटाने के लिए रुई को कुटा जाता है इससे धुल आदी इसमें से निकल जाती है और रूई साफ हो जाती है।
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5. रुई धुनना: रुई को पीजन या रुई धुनने की मशीन के द्वारा धुना जाता है। इससे रुई की गंदगी, जो कुटने के बाद भी रह गई हो, दूर हो जाती है। इस तरह रुई पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाती है। रुई को धुनने से इसके तंतु सीधे हो जाते हैं। धुनने के पश्चात रुई खूब फैली हुई तथा साफ दिखाई देती है। धुनी हुई रुई को हाथ से नहीं उठाना चाहिए। क्योंकि हाथ से दबने व मैले होने का डर रहता है। इसे पतली लकड़ी से उठाना चाहिए।
6. पूनी बनाना: थोड़ी सी रुई लेकर उसको गोलाई से लपेट कर जो शक्ल बना ली जाती है, उसे पूनी बनाना कहते हैं। पूनी या पौनी बनाने के लिए लोहे की लंबी बारिक सलाई एवं पत्थर के अन्यथा लकड़ी के चौकोर चकले की आवश्यकता होती है। रुई को चकले पर फैलाकर सलाई पर हत्थे की सहायता से लपेट दिया जाता है।
7. सूत बनाना: रुई के तत्वों में से सूत को खींचकर निकाला जाता है। यह कार्य तकली, चरखे तथा आधुनिक मशीनों द्वारा किया जाता है। तंतु में से सूत खींचने के साथ ही बट देकर उनको एक अटूट लंबाई में परिवर्तित कर दिया जाता है। कातते समय सूत एकसा होना चाहिए। उसके रेसे खड़े हुए नहीं होने चाहिए।
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8. अट्टी या लच्छी बनाना: काते हुए सूत की कुकड़ी की अटेरन या चरखी की सहायता से लच्छी बना ली जाती है। यह सूत कपड़े बुनने के काम में आता है।
9. बुनाई: हाथ करघे या यंत्रों की सहायता से ताना डाल कर बाने की मदद से कपड़ा बुना जाता है। कपड़ा बुनने के लिए आजकल अधिकतर यंत्रों का प्रयोग किया जाता है, लेकिन फिर भी हाथ करक द्वारा बनाया गया कपड़ा बहुत ही प्रसिद्ध है और हाथ कता व हाथ बुना कपड़ा पहनने वालों की संख्या भारत में बहुत अधिक है।
भारत में ढाका की मलमल जो कि संसार में प्रसिद्ध थी, हाथ कते सूत व हाथ करघे पर ही बुनी जाती थी। जिसका लगभग 14 मीटर कपड़े का थान एक अंगूठी में से निकाल लिया जाता था। आज यंत्रों की सहायता से भी इतना बारीक कपड़ा बुनना बहुत कठिन है।
कपास से कौन-सा कपड़ा बनाया जा सकता है ?
कपास से सूती कपड़ा तथा ऊनी कपड़े बनाए जाते हैं कपास से बने कपड़े थोड़े महंगे जरूर होते हैं लेकिन यह आरामदायक भी होते हैं। कपड़े बनाने के अतिरिक्त कपास का उपयोग फूल बत्ती बनाने में भी किया जाता है।
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वर्तमान दौर में कपास से पैंट, शर्ट, जींस , टी-शर्ट , सूट बूट तथा कुर्ते पजामे इत्यादि का कपड़ा बनाया जा सकता है। इसके अलावा कपास से वर्तमान दौर में स्त्रियों के लिए भी अनेक प्रकार के वस्त्र बनाए जाते हैं जिनकी भारतीय बाजार में कीमत भी कम होती है और देखने में आकर्षक भी नजर आते हैं।
कपास से बने कपड़े की पहचान कैसे करें ?
कपास से बने कपड़े की पहचान करने का सबसे आसान तरीका होता है कि उस कपड़े को जल के अंदर डुबो देना चाहिए यदि कपड़ा पहले की तुलना में ज्यादा मुलायम हो जाता है तो कपड़ा वास्तविकता में ही कपास से बना हुआ है और यदि ऐसा नहीं होता है तो कपड़ा कपास से नहीं बना हुआ है।