कपड़े के प्रकार और उनकी विशेषता

कपड़े के प्रकार और उनकी विशेषता

कपड़े के प्रकार और उनकी विशेषता तथा नायलाॅन का कपड़ा कैसा होता है ? और रेशमी कपड़ा किस चीज से बनता है ? व रेशम की पैदावार किन-किन देशों में होती है ? एवं भारत में रेशम के उद्योग कहां-कहां है ?

कपड़े के प्रकार और उनकी विशेषता
कपड़े के प्रकार और उनकी विशेषता

कपड़े के प्रकार और उनकी विशेषता

आज संसार में विभिन्न प्रकार का कपड़ा मिलता है। संसार का प्रत्येक देश अलग-अलग तरीकों से कपड़ा बनाने में लगा हुआ है। कुछ प्राकृतिक तंतु से कपड़ा बनते हैं तो कुछ कृत्रिम तंतुओं से कपड़ा बनते हैं। मनुष्य ने अपनी बुद्धि बल और साधनों के अनुसार कपड़ा बुनना आरंभ कर रखा है।

कपड़ा बुनने के लिए निम्नलिखित विभिन्न प्रकार के तंतुओं से विभिन्न प्रकार के कपड़े बनाए जाते हैं:

1. केंद्रीय तंतु: इसमें खासतौर पर दो प्रकार के कपड़े आते हैं:

1. ऊनी कपड़े 2. रेशमी कपड़े

1. ऊनी कपड़े: यह कपड़ा समशीतोष्ण कटिबंध वाले प्रदेशों में अधिकतर काम में लिया जाता है। ऊनी कपड़ा बनाने के लिए भेड़, बकरी, गाय, ऊंट, अलपाका , हिकुनी, लामा आदि जानवरों के बाल विभिन्न देशों में पाए जाते हैं। संसार के लगभग सभी देशों में उनकी पैदावार होती है। ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका में उन अधिक मात्रा में उत्पन्न होती है। स्पेन में मेरीनो नाम की भीड़ की जाति की उन सबसे अच्छी मानी जाती है।

इसके अतिरिक्त बकरियों में तुर्किस्तान की अंगारा बकरी की ऊन भारत की कश्मीरी बकरी की ऊन बहुत अच्छी होती है। संसार प्रसिद्ध कश्मीरी शाले और पश्मीने इसी ऊन‌ के बनाए जाते हैं। यह रेशम की तरह मुलायम और सफेद होता है। संसार में उन पैदा करने वाले देशों में भारत का स्थान पांचवा आता है भारत में उन पैदा करने वाले निम्नलिखित स्थान प्रसिद्ध है: राजस्थान का बीकानेर जिला , मुंबई और काठियावाड़, मध्य प्रदेश तथा मद्रास , मैसूर और बिहार , पंजाब तथा उत्तर प्रदेश।

2. रेशमी कपड़े: रेशम एक खास प्रकार के कीड़ों से प्राप्त किया जाता है। इन कीड़ों को रेशम के कीड़े कहते हैं, जी हां कीड़े शहतूत के पेड़ों के पत्ते खाकर जीवित रहते हैं। इन कीड़ों से एक द्रव पदार्थ निकलता है जो इसके शरीर के चारों और गैर के रूप में इकट्ठा रहता है। जैसे-जैसे इस द्रव पदार्थ को हवा लगती है तो यह सूख जाता है और एक लंबे धागे या सूत का रूप धारण कर लेता है।

आधुनिक युग में रेशम के तंतु अन्य समस्त तंतुओं की साम्राज्ञी के रूप में माने जाते हैं। रेशम में चमक, मजबूती कोमलता तथा आकर्षण तो ऐसा गुण है जो रेशम को अन्य तंतु की अपेक्षा अधिक उच्च बना रहा है। भारत में प्राचीन समय से ही रेशम का प्रयोग किया जा रहा है। महाराजा हर्ष के समय गुजरात की नवविवाहिता नारियां रेशमी वस्त्र पहना करती थी। जिसे पटोलू कहा जाता था।।

गुजरात में रेशम का उत्पादन 2000 वर्ष पूर्व से प्रचलित रहा है। इसके बाद समय-समय पर राजघरानों द्वारा भी इसको कॉफी संरक्षण प्राप्त होता रहा है। इतिहासकारों का कहना है कि मोहम्मद तुगलक रेशम उद्योग का बहुत बड़ा संरक्षक था। आज हमारे यहां पर भी सभी रंगो एवं नए-नए डिजाइन ओं की छपाई आदि में रेशम का कपड़ा प्राप्त होता है। जिससे सभी प्रकार की पोशाके बनाई जाती है।

रेशमी कपड़ा सूती कपड़े से अधिक महंगा होता है एवं इससे कमजोर भी होता है, लेकिन अत्यधिक आकर्षक होता है।

2. वनस्पतीय तंतु:

इसमें खासतौर पर कपड़ा व जूट है:

1. कपास: इससे सूती कपड़ा बुना जाता है जो कि सभी प्रकार के कपड़ों में सस्ता रहता है और अधिक टिकाऊ तथा चलाऊं होता है। सूती वस्त्र उद्योग भारत का सबसे महत्वपूर्ण उद्योग माना जाता है। इस उद्योग के समस्त भारत के प्रसिद्ध नगरों में लगभग बड़े-बड़े कारखाने हैं जिनमें भारत के लाखों लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। इन कारखानों से निर्मित कपड़ों का निर्यात भी होता है जिससे भारत को विदेशी मुद्रा भी काफी प्राप्त होती है।

वस्त्र उद्योग के अधिकांश कारखाने मुंबई व अहमदाबाद में है। इनके अलावा ग्वालियर, कानपुर, दिल्ली, बेंगलुरु, मद्रास, नागपुर आदि भी कपड़े के लिए बहुत प्रसिद्ध है। राजस्थान में पाली, किशनगढ़, भीलवाड़ा, ब्यावर, कोटा आदि शहरों में कपड़े की मिले हैं। तथा वर्तमान समय में भी भारत में प्रसिद्ध कोटा डोरिया का उद्योग राजस्थान के कोटा शहर में स्थित है।

कुछ कपड़े तो निम्न प्रकार से प्रसिद्ध है- अहमदाबाद की कोहिनूर मिल, दिल्ली की डीसीएम मिल , मद्रास का बिन्नी का कपड़ा, मफतलाल मिल्स का कपड़ा, ग्वालियर सूटिंग व वर्टिगो, केलिको आदि का कपड़ा आज बहुत प्रसिद्ध है।

सूती कपड़ा किन-किन नामों से जाना जाता है ?

 सूती कपड़ा कुछ निम्नलिखित नामों से भी जाना जाता है:

(अ) मोटे कपड़े: टसर, जीन, गबड्रिन, सूटिंग, कोटिंग, दूं सुती, लट्टा, पेपस्ट्री आदि।

(ब) बारीक कपड़े: मलमल, वायल, सनफोराइज्ड, लाॅन, पापलीन, कैम्ब्रिक आदि।

2. जूट: कपास के बाद जूट ही एक ऐसा जंतु है जो कि वस्त्र निर्माण के काम में लिया जाता है। प्राचीन काल से ही इसका प्रयोग भारत में वस्त्र उद्योग के रूप में होता रहा है। भारत में जूट संसार में सबसे अधिक मात्रा में पैदा होता है। संसार के और देशों जिसमें इंडो चीन, चीन , श्याम, ब्रह्मा आदि है, में जूट पैदा होता है।

इसके द्वारा बनाए जाने वाला कपड़ा टाट कहलाता है, जिसमें अनाज शक्कर कपास सीमेंट आदि भरने के लिए बोरिया बनाई जाती है जो कि संसार भर में माल को भरकर इधर उधर ले जाने के काम में आती है।

3. कृत्रिम या मानवकृत तंतु:

इन तंतुओ से बनने वाले कपड़े को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है : 1. रेयाॅन 2. शायरों

1. रेयाॅन: रेयाॅन के उत्पादन का मुख्य कारण यह है कि मूल्यवान रेशम के स्थान पर कम कीमत पर नकली या बनावटी रेशमी कपड़ा प्राप्त हो सके। रेयाॅन मैं सफलतापूर्वक रेशम की नकल हो पाई है। भारत में सबसे पहले रेयाॅन का कारखाना 1946 में स्थापित किया गया था। आज भारत में इसके सैकड़ों कारखाने हैं।

2. नायलाॅन: नायलाॅन का निर्माण कोयले से निर्मित कोलतार से प्राप्त रासायनिक तत्व एवं गैसों के मिश्रण से किया जाता है। इस के मिश्रण से नायलाॅन क्षार पैदा होता है। नायलाॅन क्षार को एक विशाल बर्तन में गर्म किया जाता है। गर्मी से इस क्षार के छोटे-छोटे कर्नल लंबी कतारों में परिवर्तित हो जाते हैं। फिर इन कतारों को पिघला कर एक कातने के यंत्र में बने छोटे-छोटे छिद्रों द्वारा पिघले हुए नायलॉन को बाहर निकालते हैं। बाहर हवा में आते ही यह तंतु जम जाते हैं और दागों के रूप मैं एकत्रित कर लिए जाते हैं।

भारत में रेशमी कपड़े के प्रसिद्ध कारखाने

भारत में रेशमी कपड़े के प्रसिद्ध कारखाने जम्मू-कश्मीर, पंजाब बंगाल, असम, बिहार, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, मैसर मद्रास आदि प्रदेशों में अधिक है। संसार मैं रेशम उत्पन्न करने वाले देशों में भारत का चौथा स्थान है।

 नायलाॅन का कपड़ा कैसा होता है ?

 नायलाॅन का कपड़ा बहुत कड़ा , लचीला तथा मजबूत होता है तथा नायलाॅन का वस्त्र बहुत चलने वाला होता है। इसके रेश में जल बहुत कम प्रवेश करता है। जिसके कारण धुले हुए वस्त्र बहुत ही शीघ्र सूख जाते हैं, लेकिन यह अधिक ताप सहन नहीं कर सकता है।

रेशमी कपड़ा किस चीज से बनता है ?

रेशम शहतूत के वृक्ष पर पाले जाने वाले रेशम के कीड़ों से बनता है। इन कीड़ों से एक द्रव पदार्थ निकलता है जो सुखाकर जम जाता है इसके बाद रेशम का कपड़ा बनता।

रेशम की पैदावार किन-किन देशों में होती है ?

भारत, जापान, चीन, तुर्की, ईरान, इटली, स्पेन और फ्रांस में रेशम की पैदावार बहुत होती है।

भारत में रेशम के उद्योग कहां-कहां है ?

भारत में रेशम उद्योग राजस्थान के गंगानगर तथा हनुमानगढ़ जिले में है और उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, पूर्वी पंजाब वर्दी में रेशम उद्योग स्थापित है।

भारत में ऊनी कपड़े के प्रसिद्ध कारखाने

भारत में ऊनी कपड़े के कारखानों में विशेष रूप से कानपुर, मुंबई, बेंगलुरु, जामनगर के नाम उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त पंजाब की कुछ शहर, कश्मीर में श्रीनगर आदि के कारखाने प्रसिद्ध है।

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