साधारण नाप लेने की विधि

साधारण नाप लेने की विधि

साधारण नाप लेने की विधि , नाप लेने के सही तरीके , सीने का नाप किस प्रकार लिया जाता है ? , कंधे की नाप कहां से कहां तक ली जाती है ? , गर्दन की नाप लेते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

साधारण नाप लेने की विधि
साधारण नाप लेने की विधि

 

साधारण नाप लेने की विधि

नाप लेने की विधि का ज्ञान प्रत्येक सिलाई करने वाली व्यक्ति के लिए आवश्यक है। नीचे उनका वर्णन किया जा रहा है-

1. लंबाई: लंबाई की नाप, गर्दन, कंधा, सामने का भाग एवं पीठ का भाग मिलने के स्थान से आरंभ होकर नीचे अंगूठी तक ली जाती है। बाएं हाथ से गर्दन और कंधे के मिलने के स्थान पर मेजर टेप को पकड़िए और दाहिने हाथ से, हाथ के अंगूठे तक या प्रचलित फैशन व ग्राहक की इच्छा के अनुसार नाप लीजिए।

2. आस्तीन की लंबाई: यह नाप आस्तीन की सिलाई से आरंभ होकर हाथ की कलाई की हड्डी तक ली जाती है। मेजर टेप को बाएं हाथ से कंधे के पास आस्तीन की सिलाई के सहारे पकड़े और दाहिने हाथ से नीचे कलाई तक आस्तीन की लंबाई की नाप ले। आदि आस्तीन की नाप के लिए कोनी से ऊपर तक ही नाप लेनी चाहिए।

3. कमर की ऊंचाई: पीठ में रीड की हड्डी के ऊपरी भाग से जो कि कॉलर की सिलाई के पास होती है, वहां से कमर के सबसे कम भाग तक नाप ली जाती है। मेजर टेप को दाहिने हाथ से कॉलर की सिलाई के सहारे पकड़े और कमर के सबसे पतले भाग तक बाएं हाथ से नाप ले।

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4. कमर की नाप: यह नाप सामने से व्यक्ति की कमर के भाग में ली जाती है। मेजर टेप को बाएं हाथ से पकड़े और कमर में नाभि के पास शरीर के चारों तरफ के नाप ले। साधारणतया यह नाप सीने की नाप से कम होती है लेकिन अप्रमाणबध्द व्यक्ति की यह नात सीने से अधिक भी हो सकती है।

कमर से नीचे पहने जाने वाली वस्त्रों की नाप

1. पूरी लंबाई: यह नाप कमर के सबसे कम भाग व नाभि के पास से जहां पर पेंट, बेल बॉटम या पायजामा बांधा जाता है वहां से ग्राहक की इच्छा अनुसार उस स्थान से पैर के टखने या इससे भी नीचे जैसा प्रचलन हो, लंबाई की नाप ली जाती है।

2. टांग की लंबाई: इस नाप को जहां दोनों पैर एक दूसरे से मिलते हैं वहां से जहां तक पेंट या पायजामा की लंबाई ली जाती है उस स्थान तक पैर के अंदर की ओर इसकी नाप ली जाती है। नाप लेते समय प्रत्यय का वह भाग जिस पर प्लास्टिक अन्यथा पीतल की पत्ती का बड़ा भाग लगा हुआ है, काम में लेना चाहिए। इस नाम से वस्त्र का हीप पर फिटिंग सही आता है।

3. सीट की नाप: यह नाप बैठने के स्थान पर सबसे अधिक पुष्ट भारत पर शरीर के चारों तरफ फिते के द्वारा ली जाती है। नाप लेते समय जिसकी नाप ली जा रही है, उसे सीधा खड़ा रहना चाहिए। नाप लेते समय सीट पर दो या तीन स्थान पर नाप लेना चाहिए जिससे कि गलती की संभावना नहीं रहे और जहान आप अधिक आए उसे सीट की नाप मान लेना चाहिए।

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4. घुटना घेर की नाप: इस नाम को अलग-अलग वस्त्रों में अलग अलग तरीके से लेते हैं। बेल बॉटम में घुटने के चारों ओर जितना ढिला बेलबॉटम रखना है, उतनी ही ढिलाई इसमें लेते हैं।

5. मोहरी की नाप: पेंट , बेल बॉटम , पायजामा आदि को नीचे से जीतना ढीला रखना हो उसी के अनुसार फैशन और पहनने वाले की इच्छा अनुसार यह नाप ली जाती है।

सीने का नाप किस प्रकार लिया जाता है ?

यह नाप सामने से मनुष्य के सीने के शरीर के चारों तरफ ली जाती है। यह नाप लेते समय मेजर टेप को बाएं हाथ में पकड़ कर शरीर के चारों ओर से तथा बगल के सहारे लगाकर नाप लेनी चाहिए। इसमें टेप पीठ की हड्डियों से फिसलनी नहीं चाहिए।

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कंधे की नाप कहां से कहां तक ली जाती है ?

कंधे की नाप एक कंधे पर जहां आस्तीन की सिलाई होती है, वहां से दूसरे हाथ की आस्तीन की सिलाई तक ली जाती है। बाए हाथ में मेजर टेप को पकड़कर कंधे पर रखें और गर्दन के पास से होते हुए दाहिने कंधे पर जहां पर आस्तीन की सिलाई होती है, वहां तक नाप ले।

गर्दन की नाप लेते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

यह नाप व्यक्ति की गर्दन के चारों तरफ, जहां पर कॉलर बंद किया जाता है, ली जाती है। मेजर टेप को बाएं हाथ में पकड़कर गर्दन के चारों ओर से लेना चाहिए और नाप लेते समय अपने हाथ की एक अंगुली टेप और गर्दन के बीच में रखना चाहिए। जिससे यह नाप मध्यम तंग आये। नाप लेते समय वस्त्र की कॉलर का बटन खोल देना चाहिए।

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