नाप लेने का सही तरीका कौन सा होता है ? , नाप लेने के नियम

नाप लेने का सही तरीका कौन सा होता है ? , नाप लेने के नियम

नाप लेने का सही तरीका कौन सा होता है ? , नाप लेने के नियम , नाप कितने प्रकार से ली जाती है ? तथा सही नाप लेने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

नाप लेने का सही तरीका कौन सा होता है ? , नाप लेने के नियम
नाप लेने का सही तरीका कौन सा होता है ? , नाप लेने के नियम

नाप लेने का सही तरीका कौन सा होता है ?

मनुष्य के लिए हर तरह की पोशाक बनाने के लिए नापो का लेना अत्यंत आवश्यक है। बिना नाप के न तो कपड़े का अंदाज लग सकता है और न ही मानव की लंबाई और चौड़ाई मालूम हो सकती है। प्रत्येक पोशाक की नापे अलग-अलग ढंग से ली जाती है।

अतः सही नापो से ही कपड़ा सही लिया जा सकता है। सिलाई कला में कटिंग का तरीका नापो पर ही आधारित होता है। और सही नापो के लेने से ही मनुष्य शरीर पर कपड़ा सही बन सकेगा। इसलिए मनुष्य की नाप लेने का सबसे सही तरीका मनुष्य की लंबाई तथा चौड़ाई की नाप लेना होता है।

नाप लेने के नियम

अलग-अलग पोशाकों में अलग-अलग तरह से नाप ली जाती है। परंतु कुछ ना पर तो अलग-अलग पोशाकों की एक होती है, उन्हें अलग-अलग ढंग से लिया जाता है। जैसे- कमर की नाप, पेंट और कोट दोनों में ली जाती है। कोट में यह नाप साधारणतया कुछ ढ़ीली ली जाती है और पेंट में यह फिट ली जाती है। एक अच्छे कटर के लिए जितना नाप लेना आवश्यक है उतनी ही नापो की जानकारी भी आवश्यक है।

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कटर को यह मालूम होना चाहिए कि प्रत्येक पोशाक में कितनी नापे ली जाती है और वह कैसे ली जाती है तथा शरीर में किन किन भागों की ली जाती है। इसमें थोड़ी सी भूल होने पर कपड़ा खराब होने की पूर्ण संभावना रहती है। इसके साथ ही साथ समय, फैशन व मौसम के अनुसार भी नापो का पूर्ण रूप से ध्यान रखना चाहिए।

जैसे- साधारणतया कोट की नाप प्रत्येक स्थान पर फिट ली जाती है। अगर गर्मी के मौसम में पहनने के लिए कोट बनाया जाता है तो उसे साधारणतया फिट बनाया जाएगा और अगर सर्दी के मौसम के लिए बनाया जा रहा है तो कोट के अंदर कुछ कपड़े और पहनने की जगह रखनी चाहिए। प्रचलित फैशन का भी पोशाक बनाते समय पूर्ण ध्यान रखना आवश्यक है।

नाप कितने प्रकार से ली जाती है ?

नाप दो प्रकार से ली जाती है:

1. अप्रत्यक्ष नाप 2. प्रत्यक्ष नाप

1. अप्रत्यक्ष नाप: इस विधि के अंतर्गत सामने वह व्यक्ति नहीं होता है जिसके लिए कपड़ा बनाया जा रहा है, केवल सिलाई करने वाले को सीने के नाम मालूम होती है जिसके आधार पर वह अन्य नाप मालूम करता है और उसके अनुसार पोशाक बनाता है।

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इस प्रकार की नपो में यह आवश्यक नहीं है कि पोशाक मनुष्य के शरीर पर ठीक ही बने क्योंकि प्रत्येक मनुष्य का एक सा पद नहीं होता है। साधारणतया 180 सेंटीमीटर लंबे व्यक्ति के सीने की नाप 90 सेंटीमीटर होती है और कमर के नाप 80 सेंटीमीटर।

लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि 170 सेंटीमीटर लंबे व्यक्ति के सीने की नाप इसी क्रम से हो जाए। इस लंबाई की व्यक्ति किसी ने व कमर की नाते 180 सेंटीमीटर लंबे व्यक्ति के ही समान भी हो सकती है, कम भी तथा अधिक भी हो सकती है।

2. प्रत्यक्ष नाप: इस नाप के तरीके से नाप लेने वाला तथा जिसकी नाप ली जा रही है वह एक दूसरे के आमने-सामने होते हैं। जो पोशाक बनाई जा रही है उसके लिए जितनी नापो की आवश्यकता होगी तथा फैशन व पहनने वालों की इच्छा अनुसार होगी, अगर कुछ नापे और भी लेनी पड़े या मानव शरीर अप्रमाणब्ध्द हो तो उसका भी ध्यान रखकर नाप ली जाती है।

इस प्रकार से ली गई नापो से मनुष्य की पोशाक अच्छी बनती है और अच्छा कार्य करने वाले प्रत्यक्ष नापो में ही विश्वास करते हैं। अच्छी सिलाई करने वाले के लिए सही नापो का लेना अत्यंत आवश्यक है इससे वह यशस्वी बनता है।

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सही नाप लेने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

सही नाप लेने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

1. नाप लेते समय ग्राहक के दायीं और खड़ा होना चाहिए।

2. नापे क्रम से ली जानी चाहिए।

3. नापे लेने के बाद उन्हें ऑर्डर बुक में क्रम से लिखना चाहिए।

4. नाते यथा स्थान लेनी चाहिए।

5. नापे लेते समय पहनने वाले की रूच के बारे में भी जानकारी अवश्य कर लेनी चाहिए।

6. मानव शरीर पूर्ण रूप से निरीक्षण कर लेना चाहिए।

7. मानव शरीर अगर अप्रमाणबध्द है तो इसमें जिन अधिक नापो की आवश्यकता हो उन्हें और लेना चाहिए तथा ऑर्डर बुक में लिख लेना चाहिए

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