सलवार कितने प्रकार की होती है ?

सलवार कितने प्रकार की होती है ?

 स्त्री और पुरुष दोनों ही सलवार पहनते हैं, पुरुष ज्यादा घेर वाली पहनते हैं तथा स्त्रियों काम घेर वाली पहनती है, जानिए सलवार कितने प्रकार की होती है ?

सलवार कितने प्रकार की होती है ?
सलवार कितने प्रकार की होती है ?

सलवार कितने प्रकार की होती है ?

सलवार अधिकतर पंजाबी लोग पहनते हैं। यह सफेद लट्ठे की तथा रंगीन सिल्क, साटन, केप अभी कपड़े से बनाई जाती है। स्कूलों में लड़कियां सलवार पहनती है। यह बहुत कम घेर वाली होती है।

1. ज्यादा घेर वाली सलवार:

ज्यादा घेर वाली सलवार में चार कलियों और दो मोहरी की चौड़ाई का कपड़ा लेते हैं। कम घेर वाली में दो कलियों और दो मोहरी की चौड़ाई का कपड़ा लेते हैं।

नापे: लंबाई 1 मीटर, सीट 90 सेंटीमीटर, मुहूरी 42 सेंटीमीटर

कपड़ा ज्ञात करने की विधि: 3 (लंबाई+10 सेंटीमीटर)=कपड़ा

1, 2, 3, 4 मोहरी का कपड़ा चौड़ाई में फोल्ड किया हुआ हो

एक से 4 तक + लंबाई 8 सेंटीमीटर 108 सेंटीमीटर

कलियां: 1, 2, 3, 4 कलियों का फोल्ड किया हुआ कपड़ा

1, 2 तक कर्ज की चौड़ाई 80 सेंटीमीटर

1 से 10 तक 4 सेंटीमीटर

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4 से 9 तक नेफे के लिए 5 सेंटीमीटर

3 से 11 तक 4 सेंटीमीटर तथा 10 से 11 को मिलाएं

इस प्रकार काटने के पश्चात 4 कलियां और दो भाग होते हैं तथा मोहरी के सामने के लिए दो पट्टियां। इस तरह से कुल 8 भाग होते हैं। और इस प्रकार इन भागों को काटा जाता है।

2. कम घेर वाली सलवार(स्त्रियों के लिए): 

नापे: लंबाई 90 सेंटीमीटर, सीट 90 सेंटीमीटर , मोहरी 36 सेंटीमीटर

कपड़ा ज्ञात करने की विधि: 2(लंबाई+8 सेंटीमीटर) जैसे- 2 (90+8)= 196 तथा कपड़े का अर्ज 90 सेंटीमीटर होना चाहिए।

फोल्ड करने का तरीका: कपड़े की लंबाई को दोहरा किया और एक तरफ मोहरी का आधा भाग ओर मोड़ दिया जाता है।

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कटाई का क्रम: 1, 12, 13, 14, 8 तक पायचा तथा 7, 13, 11, 14 तक दूसरा पायचा काट दिया जाता है। इस सलवार में दो कलियां होगी जो दोनों पायचो में जोड़ दी जाएगी।

दो कलियों काटते समय पायचो के साथ में होती है। मोहरी भी चौड़ाई में ज्यादा नहीं लेनी चाहिए।

सिलाई कला का सामान्य परिचय

कला ही जीवन है। आज की इस वैज्ञानिक युग में मानव जीवन में जितना विज्ञान का महत्व है, उसमें भी कहीं अधिक महत्व कला का है। कुछ वर्षों पूर्व विद्वानों का मत है कि “कला, कला के लिए हैं

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“लेकिन आज के विद्वानों का मत है कि “कला मानवीय हित के लिए है।”सिलाई कला का सामान्य परिचय में हम यह कह सकते हैं कि “सिलाई करने वाली मनुष्य का व्यक्तित्व बनाते हैं”।

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