मानव शरीर की वृद्धि किन-किन अवस्थाओं में होती है ?

मानव शरीर की वृद्धि किन-किन अवस्थाओं में होती है ?

नाप से संबंधित साधारण ज्ञान प्राप्त करने के लिए मानव शरीर की वृद्धि के नियमों को जानना आवश्यक है अतः जानिए  मानव शरीर की वृद्धि किन-किन अवस्थाओं में होती है ?

मानव शरीर की वृद्धि किन-किन अवस्थाओं में होती है ?
मानव शरीर की वृद्धि किन-किन अवस्थाओं में होती है ?

मानव शरीर की वृद्धि किन-किन अवस्थाओं में होती है ?

मानव के जन्म के पश्चात प्रकृति के द्वारा ही उसका पूर्ण विकास होता है। मानव को जन्म से लेकर मृत्यु तक कई अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है। अवस्थाओं में मानव शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। इनका अच्छी प्रकार से ज्ञान प्राप्त न होने से सिलाई करता सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है, क्योंकि सिलाई करने वालों को नवजात शिशु से लेकर अत्यधिक वृद्ध व्यक्ति तक के कपड़े बनाने होते हैं।

शरीर की वृद्धि निम्न अवस्थाओं में होती है:

प्रथम अवस्था: जन्म से 5 वर्ष तक।

बालक के जन्म होने के समय उसके शरीर की पूरी लंबाई में आधा भाग दो सिर का होता है तथा आधा भाग शरीर का होता है। इसके पश्चात धीरे-धीरे बालक का शरीर बढ़ने लगता है और 5 वर्ष की अवस्था तक पूरी लंबाई का 1 बटा 4 भाग सिर तथा 3 बटा 4 भाग सिर के अतिरिक्त लंबाई रहती है।

द्वितीय अवस्था: 6 से 10 वर्ष तक।

इस अवस्था में बालक का शरीर कुछ पुष्ठ होता है तथा वह तन करके खड़ा होना सीख जाता है। समय सिर की ना पूरी लंबाई की लगभग 1 बटा 5 रह जाती है। बालक के हाथ व पैर कुछ मोटे हो जाते हैं। 10 वर्ष की अवस्था तक बालक व बालिकाओं के शरीर के बढ़ने का क्रम लगभग एक सा ही होता है। अगर बालक के सिर पर बड़े बड़े बाल हो तो बालक और बालिका में कोई खास अंतर नहीं दिखाई देता।

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तृतीय अवस्था: 11 से 15 वर्ष तक।

इस अवस्था में बालक व बालिकाओं की छाती की नाप तथा हिप कि नापे अधिक बढ़ती है और कमर के नाप लगभग स्थिर सी रहती है। बालिकाओं की छाती ऊपर जाती है तथा बालक व बालिकाओं में अत्यधिक अंतर दिखाई देने लगता है। बालकों की लंबाई अधिक हो जाती है, लेकिन बालिकाओं की लंबाई अधिक नहीं हो पाती है।

चतुर्थ अवस्था: 16 से 21 वर्ष तक।

इस अवस्था में लंबाई बढ़ती है लेकिन अधिक नहीं बढ़ती है। इस समय बालक युवक का रूप धारण कर लेते हैं और बालिका ही नारियों का रूप। इस अवस्था में छाती,हिप, कमर अधिक बढ़ती है, सीना आगे की ओर उभर आता है, हिप दर को दब जाती है, लंबाई का बढ़ना प्राय बंद हो जाता है और 20 वर्ष की अवस्था तक पहुंचते-पहुंचते पूरे शरीर का 1 बटा 3 भाग के लगभग रह जाता है।

पंचम् अवस्था: 22 वर्ष से 35 वर्ष तक।

इस अवस्था में अधिक तनकर खड़ा होना बंद सा हो जाता है। इस अवस्था में कमर के नाप अधिक होने लगती है। सिर्फ कुछ झुकने लगता है। साधारण अवस्था में ही रहते हैं। मांसपेशियां भी बढ़ने लगती है।

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षष्ठम अवस्था: 36 से 45 वर्ष तक।

इस अवस्था में मनुष्य में कोई खास परिवर्तन नहीं आता केवल किन्हीं परिस्थितियों में (बीमारी चिंता अधिक श्रम भोजन की अव्यवस्था) के कारण ही शरीर की ना पर कम होने लगती है। लेकिन अधिकतर लोगों की यह अवस्था सामान्य ही रहती है। कंधे कुछ ढालू होने लगते हैं।

सप्तम अवस्था: 46 से 60 वर्ष तक।

इस अवस्था में मनुष्य की हड्डियां सिकुड़ने लगती है। फिर आगे की ओर झुकने लगता है। मांस-पेशियां घटती है। प्रायः: दुबले-पतले मनुष्य तो अधिक झुक जाया करते हैं और उन्हें खड़ा होने में भी लकड़ी का सहारा लेना पड़ता है। पीठ की नाप अधिक एवं सामने की नाप कम हो जाती है मनुष्य स्टूपिंग दिखाई देने लगता है।

उपर्युक्त अवस्थाओं में जब बालक युवक का और बालिका नारी का रूप प्राप्त कर लेते हैं तो सिलाई कला के अनुसार पुरुष और नारी के शरीर में निम्नलिखित अंतर दिखाई देते हैं:

पुरुष और स्त्री शरीर में अंतर

  • पुरुषों का शरीर अधिक लंबा दिखाई देता है जबकि स्त्रियों का शरीर लंबाई में कम दिखाई देता है।
  • पुरुषों के शरीर का ढांचा भारी और मजबूत होता है लेकिन स्त्रियों के शरीर का ढांचा हल्का और कोमल होता है।
  • पुरुषों का सर पूरे शरीर के 8 वें भाग के लगभग होता है किंतु स्त्रियों का सिर पूरे शरीर के 7 वें भाग के लगभग होता है।
  • पुरुषों का सिर मोटा और भारी होता है किंतु स्त्रियों का सिर लंबा और हल्का होता है।
  • पुरुषों की गर्दन छोटी होती है एवं स्त्रियों की गर्दन लंबी होती है।
  • पुरुषों के कंधे चौड़े भरी और मजबूत होते हैं और स्त्रियों के कंधे छोटे हल्के एवं कोमल होते हैं।
  • पुरुषों की छाती के नाम स्त्रियों की छाती के नाम से अधिक होती है। इस पर मांस कम होता है और आगे को उठी हुई होती है तथा स्त्रियों की छाती की नाप पुरुषों की छाती की नाप से कम होती है। इस पर मास अधिक होता है और आगे का भाग अधिक उभरा हुआ होता है।
  • पुरुषों की कमर मोटी होती है, स्त्रियों की कमर पतली होती है।
  • पुरुषों की हिप कम होती है लेकिन स्त्रियों की हिप अधिक होती है।
  • पुत्रों की जंघा पिंडली के क्रम से अधिक मोटी नहीं होती जबकि स्त्रियों की गंगा पिंडलियों के क्रम से अधिक मोटी होती है।

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