सिलाई मशीन के प्रमुख भाग | Silai Machine Ke Pramukh Bhag
सिलाई मशीन के प्रमुख भाग | Silai Machine Ke Pramukh Bhag , सिलाई मशीन में कितने भाग होते हैं , सिलाई मशीन के महत्वपूर्ण पुर्जे कौन-कौन से हैं , सिलाई मशीन का क्या कार्य है , सिलाई मशीन के किस भाग को प्रेशर-फुट के नाम से जाना जाता है ?

सिलाई मशीन के प्रमुख भाग | Silai Machine Ke Pramukh Bhag ,सिलाई मशीन के महत्वपूर्ण पुर्जे कौन-कौन से हैंं
सिलाई मशीन के प्रमुख भाग / ऊर्जा निम्नलिखित है:
किसी भी कार्य को सुंदर बनाने के लिए अच्छे हो जाएं और अच्छी मशीन की आवश्यकता होती है। परंतु इसके साथ ही साथ मशीन पर कार्य करने वाले को मशीन के पुर्जो के नाम हुआ उसके बारे में पूरी जानकारी होना अति आवश्यक है।
अन्यथा मशीन में जरा सी खराबी होने पर ही मशीन को मिस्त्री के यहां ले जाना पड़ेगा, जिससे हमारा कीमती समय और पैसा बर्बाद होगा। इन सब से बचने के लिए मशीन के मुख्य भागों की जानकारी होना आवश्यक है। ये भाग निम्नलिखित है:
1. गति चक्र (बैलेंस व्हील) : यह मशीन के दाई और लगा होता है । इसके द्वारा ही मशीन को चलाया तथा बंद किया जाता है। इसके बिना मशीन को गति नहीं मिल सकती है। कुछ लोग इसे फ्लाई व्हील पर कहते हैं। हाथ से चलने वाली मशीन में इसे हैंडल की मदद से चलाया जाता है। तथा पेड़ से चलने वाली मशीन में इसे पांवदान के पहिए से चमड़े की माल यानी की बेल्ट द्वारा चलाया जाता है।
2. मशीन की चाल बंद करने वाला पेच (स्टाफ मोशन स्क्रू): यह एक छोटा सा पहिया होता है जो गति चक्र के पास लगा रहता है। इसे कसने से मशीन चलती है तथा डीलर करने से मशीन की चाल बंद हो जाती है, केवल गति चक्र ही चलता है। खास तौर पर बाबिन में धागा भरते समय इसका प्रयोग किया जाता है।
3. कपड़ा दबाने वाला पैर (प्रेशर-फुट) : यह प्रेशर बार के नीचे लगा होता है। यह कपड़ा दबाने के काम में आता है जिसको बूट भी कहते हैं। इससे दबने के बाद कपड़ा दातों की सहायता से टांके लगने के बाद पीछे की ओर जाता है।
4. पैर उठाने वाला पेच (प्रेशर फुट लिफ्टर) : इससे प्रेशर फूट उठाया और गिराया जाता है। इसकी सहायता से आवश्यकता के अनुसार कपड़ा दबाया जाता है। तथा परिसर फ्रूट से बाहर भी निकाला जाता है। इसको घोड़ा भी कहते हैं।
5. पैर वाला गज (प्रेशर फुट बार) : यह एक लोहे की छड़ होती है। इसके निचले सिरे पर प्रेशर फुट लगा होता है जो कि कपड़े को दबाने के काम में आता है। इसमें प्रेशर के लिए एक प्रकार का स्प्रिंग लगा हुआ होता है।
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6. सूई वाला गज (नीडिल बार) : यह भी लोहे से निर्मित एक क्षण होती है। जिसके नीचे सुई लगाई जाती है, इसकी सहायता से सुई ऊपर नीचे की जाती है।
7. सूई वाला पेच (नीडिल क्लैम्प) : यह एक लोहे का पेज होता है जिससे नीडिल बार में सुई लगाकर पेच कस दिया जाता है।
8. धागा खींचने की कल (थोड़ टेक अप लीवर ) : यह मशीन के चेहरे पर लगा हुआ एक पूजा होता है। जिसमें धागा पिरोया जाता है। यह धागे को खींचकर टांको को सही करने का कार्य करता है। इसे लिबलिबी भी कहते हैं।
9. धागा कसने की थालियां (टेन्शन डिशेज) : यह मशीन के चेहरे वाली प्लेट में लगी होती है और दो थालियां जैसी शक्ल में मिली होती है। इसके आगे एक स्प्रिंग और एक पेज लगा होता है जिसमें होकर धागा लीवर में जाता है पेज घुमाकर धागे के दबाव को कम तथा ज्यादा किया जाता है।
10. दांते (फिड़ डाग) : यह नीडिल प्लेट के नीचे लगे हुए होते हैं, जो कपड़े को पीछे धकेलने का कार्य करते हैं प्रेशर फुट हुए दातों की मदद से ही टांके लगाने के पश्चात कपड़ा पीछे की ओर जाता है।
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11. नीडिल प्लेट (थ्रोट प्लेट) : यह चमकते हुए लोहे की एक अर्धवृत्त आकार पत्ती होती है जो दातों के ऊपर लगी होती है। इसके बीच से सुई धागे के साथ नीचे की ओर जाती है तथा शटिल की सहायता से नीचे की दादी को ऊपर ले आती है।
12. स्लाइड प्लेट : यह नीडिल प्लेट के बराबर चमकीले लोहे की बनी होती है जिसको बाहर की तरफ से खींचकर अंदर से बोबिन केस को निकाला वह फिट किया जाता है।
13. सुई : यह सिलाई मशीन का मुख्य भाग होता है। इसमें नीचे की ओर एक छिद्र होता है जिसमें दादा पिरोया जाता है। बारीक कपड़े में यह 9, 11, 14 नंबर कि काम में ली जाती है। मोटे कपड़े में यह 16, 18, 20 नंबर की काम में ली जाती है।
14. फेस प्लेट : सिलाई मशीन का यह भी एक बहुत उपयोगी मुख्य भाग है जिसमें मशीन के कई भाग होते हैं। जैसे मनुष्य का चेहरा , इसमें मुंह , नाक , आंख आदी होते हैं, ठीक इसी तरह इस बाग में टेंशन डिशेज, आईलेट लोंच, लीवर आदि होते हैं।
15. धागा भरने की फिरकी (बाबिन) : यह एक लोहे की चकरी होती है। मशीन में नीचे की तरफ धागा लगाने के लिए बाबिन में धागा भरा जाता है। धागा भरने के बाद से दिव्या में रखकर शटिल में लगा दिया जाता है जो नीचे की तरफ लगी होती है।
16. डिबियां (बाबिन केस) : यह एक लोहे की बनी हुई दिव्या होती है जो कि एक तरफ से कटी हुई होती है। बोबिन का धागा इस कटे हुए भाग में से पत्ती के नीचे से होता हुआ बाहर निकाला जाता है। यह बात भी मशीन में नीचे की ओर लगा हुआ होता है।
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17. खूटियां (स्पूल पिन) : यह मशीन के ऊपर लगी हुई दो किले होती है जिसमें धागे की नल किया तथा धागे के गट्टे लगाए जाते हैं।
18.बखिया कसने वाला पेच (स्टिच रेगुलेटिंग स्क्रू ) : इस पुर्जे की सहायता से सिलाई मोटी तथा बारीक की जाती है। इसके पास नंबर लगे होते हैं जिसके ऊपर किसका ने से मोटी वह नीचे खिसकाने से बारिक सिलाई आती है। ठीक प्रकार से सिलाई करने के लिए इसको नंबरों के बीच रखा जाता है।
19. फिरकी भरने वाला पेच (बाबिन बाइन्डर) : यह मशीन के गति चक्र के पास लगा हुआ होता है। इस पर एक रबड़ लगा होता है। इसके बोबिन में धागा भरा जाता है।
20. हस्थी (हैंडिल) : यह गति चक्र के पास लगी होती है जिसको घुमाने से मशीन घूमती है । यह उपकरण केवल हाथ चलाई जाने वाली मशीन में होता है ।
21. शटिल : अर्धवृत्त आकार शक्ल का पूजा होता है जो शटिल रेस में घूमता रहता है और टांके का फंदा सुई में डालता रहता है। इसी में डिबिया फिट की जाती है।
22. शटिल रेस : इसको नाल भी कहते हैं। इसमें शटिल घूमता रहता है। यह मशीन का एक महत्वपूर्ण पूर्जा होता है इसलिए इसकी सफाई रखना आवश्यक होता है। इसी के सहारे से सुई नीचे आती है और नीचे के धागे को ऊपर ले जाती है यह भी नीचे का भाग होता है।
सिलाई मशीन में कितने भाग होते हैं ?
मुख्य रूप से सिलाई मशीन के 22 भाग होते हैं, जिनमें शटिल रेस, शटिल, फिरकी भरने वाला पेच , बखिया कसने वाला पेच, धागा भरने की फिरकी, गति चक्र (बैलेंस व्हील) इत्यादि प्रमुख होते हैं।
सिलाई मशीन का क्या कार्य है ?
सिलाई मशीन का वर्तमान समय में मुख्य काम कपड़े सिलना है जैसे कि महिलाओं के कपड़े सिलना, पुरुषों के कपड़े सिलना , महिलाओं के लिए कुर्तियां सिलना , पुरुषों के लिए पायजामे जाने इत्यादि सिलना।
सिलाई मशीन के किस भाग को प्रेशर-फुट के नाम से जाना जाता है ?
सिलाई मशीन के कपड़ा दबाने वाला पैर को प्रेशर-फुट के नाम से जाना जाता है, इस उपकरण का प्रयोग साधारणतया कपड़ा दबाने में किया जाता है।